मेरे अंत की और

लोग देखते हैं मुझे
मेरी आँखों को
आंसू जिनके सुख चुके हैं

मेरे गालो को
जहा फीकी नकली मुस्कान हैं
जो दर्द देती हैं
गालो को

जो नकली हसी निकलती हैं चहरे पर
दर्द देती हैं वो दिल में

आत्मा को जो सूख चुकी हैं
निचोड़ निचोड़ कर जिसमे से
निकली जा चुकी हैं जान

हर बार सोचता हू
उनके बारे में
जो आते जाते देखते हैं मुझे
पर क्या कोई ऐसा भी हेई
जो जनता हैं मुझे
मेरी नकली हसी को
मेरी मृत आत्मा को.
इसलिए पिछले कुछ दिनों से
मैं मर चूका हू
पर किसी को ये नहीं पता
क्यूंकि,
वो लोग तो
सिर्फ
मुझे देखते हैं

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